Sandhi Kise Kahate Hain
संधि किसे कहते है?
Sandhi Kise Kahate Hain
संधि में पहले शब्द का अंतिम वर्ण और दूसरे शब्द का प्रथम वर्ण से एक नया शब्द का निर्माण होता है |
संधि का अर्थ
संधि शब्द का अर्थ :- संधि शब्द दो शब्द से मिलकर बना है जैसे की “सम् + धि” शब्द से मिलकर संधि बना है इसका का अर्थ है “मेल’ या जोड़”
दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है। संस्कृत, हिन्दी एवं अन्य भाषाओं में परस्पर स्वरो या वर्णों के मेल से उत्पन्न विकार को सन्धि कहते हैं। जैसे – सम् + तोष = संतोष ; देव + इंद्र = देवेंद्र ; भानु + उदय = भानूदय।
संधि की परिभाषा
संधि की परिभाषा :- संधि की परिभाषा उसके अर्थ में निहित होती है तो संधि का शाब्दिक अर्थ है– “योग अथवा मेल “। अर्थात् दो ध्वनियों या दो वर्णों के मेल से होने वाले विकार को ही संधि कहते हैं।
सन्धि (सम् + धि) शब्द का अर्थ है ‘मेल’ या जोड़। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है। संस्कृत, हिन्दी एवं अन्य भाषाओं में परस्पर स्वरो या वर्णों के मेल से उत्पन्न विकार को भी सन्धि कहते हैं।
सम् + तोष = संतोष
देव + इंद्र = देवेंद्र
भानु + उदय = भानूदय।
संधि की परिभाषा-
- जब दो वर्ण पास-पास आते हैं या उसके मेल होता हैं तो उनमें जो विकार उत्पन्न होता है अर्थात् वर्ण में परिवर्तन हो जाता है। यह विकार युक्त मेल ही संधि कहलाता है।
- कामताप्रसाद गुरू के अनुसार, ’दो निद्रिष्ट अक्षरों के आस-पास आने के कारण उनके मेल से जो विकार होता है, उसे संधि कहते हैं।’
- श्री किषोरीदास वाजपेयी के अनुसार, ’जब दो या अधिक वर्ण पास-पास आते हैं तो कभी-कभी उनमें रूपांतर हो जाता है। इसी रूपांतर को संधि कहते हैं।’
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संधि के तीन प्रकार या भेद होते हैं।
- स्वर संधि
- व्यंजन संधि
- विसर्ग संधि
Swar Sandhi Kise Kahate Hain
स्वर संधि किसे कहते हैं?
यदि संधि के पहले शब्द का अंतिम वर्ण स्वर हो तो “स्वर संधि “कहते हैं यदि किसी वर्ण में स्वर के बाद स्वर आता है और उन दो स्वरों के मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं
Swar Sandhi Ke Bhed
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दीर्घ संधि
दीर्घ संधि किसे कहते हैं?
dirgh swar sandhi kise kahate hain:-जब दो शब्दों की संधि करते समय (अ, आ) के साथ (अ, आ) हो तो ‘आ‘ बनता है, जब (इ, ई) के साथ (इ, ई) हो तो ‘ई‘ बनता है, जब (उ, ऊ) के साथ (उ, ऊ) हो तो ‘ऊ‘ बनता है। इस संधि को हम ह्रस्व संधि भी कह सकते हैं। और Deergh Sandhi दीर्घ संधि भी के सकते है |
दीर्घ संधि की परिभाषा
Dirgh Swar Sandhi Kise Kahate Hain
Dirgh Sandhi In Hind
Dirgha Swar Sandhi Kise Kahate Hain
दीर्घ संधि के उदाहरण संस्कृत में :
दीर्घ संधि के कुछ उदाहरण :
योजन + अवधि : योजनावधि (अ + अ = आ)
अ एवं अ इन दोनों स्वरों को मिलाया गया। जब शब्दों की संधि की गयी तो संधि से बनने वाले शब्द में स्वरों के मेल से परिवर्तन देखने को मिला। अतः यह उदाहरण दीर्घ संधि के अंतर्गत आयेगा।
परम + अर्थ : परमार्थ (अ + अ = आ)
जब अ एवं अ दो स्वरों को मिलाया गया तो उन शब्दों ने मिलकर आ बना दिया। जब संधि की गयी तो मुख्य शब्द में परिवर्तन स्वरों की वजह से आया। अतः यह दीर्घ संधि के अंतर्गत आयेगा।
विद्या + अभ्यास : विद्याभ्यास (आ + अ = आ)
दोनों स्वर मिलकर संधि – संधि करने पर परिवर्तन ला रहे हैं। आ एवं अ मिलकर आ बना रहे हैं एवं संधि होने के बाद शब्द में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। ये स्वर हैं अतः यह उदाहरण दीर्घ संधि के अंतर्गत आयेगा।
गिरि + ईश : गिरीश (इ + ई = ई)
जब इ एवं ई इन दोनों स्वरों को मिलाया गया तो इन स्वरों ने मिलकर दीर्घ ई बनायी। जब शब्दों की संधि कि गयो तो इन स्वरों की वजह से परिवर्तन देखने को मिला। अतः यह उदाहरण दीर्घ संधि के अंतर्गत आयेगा।
कवि + ईश्वर : कवीश्वर (इ + ई = ई)
इ और ई ये दो स्वरों को मिलाया गया। जब संधि – संधि होते समय ये दो स्वर मिले तो इन्होने ई बना दिया। जब शब्दों कि संधि की गयी तो मुख्य शब्द में परिवर्तन इन स्वरों कि वजह से देखने को मिला। अतः यह उदाहरण दीर्घ संधि के अंतर्गत आयेगा।
वधु + उत्सव : वधूत्सव (उ + उ = ऊ)
उ एवं उ ये दोनों स्वर संधि के समय मिले। जब इनकी संधि- संधि हुई तो बनने वाले शब्द में इन स्वरों कि वजह से परिवर्तन देखने को मिला। अतः यह उदाहरण दीर्घ संधि के अंतर्गत आयेगा।
दीर्घ संधि के कुछ अन्य उदाहरण :
आत्मा + अवलंबन : आत्मावलंबन (आ + अ = आ)
सर्व + अधिक : सर्वाधिक (अ + अ = आ)
स्व + आधीन : स्वाधीन (अ + आ = आ)
अंड + आकार : अंडाकार (अ + आ = आ)
अल्प + आयु : अल्पायु (अ + आ = आ)
अ+अ =आ अन्न+अभाव = अन्नाभाव
अ+आ =आ भोजन+आलय = भोजनालय
आ+अ =आ विद्या+अर्थी = विद्यार्थी
आ+आ =आ महा+आत्मा = महात्मा
इ+इ =ई गिरि+इंद्र = गिरींद
ई+इ =ई मही+इंद्र = महींद्र
इ+ई =ई गिरी+ईश = गिरीश
ई+ई =ई रजनी+ईश = रजनीश
उ+उ =ऊ भानु+उदय = भानूदय
उ+ऊ =ऊ वधू+उत्सव = वधूत्सव
ऊ+उ =ऊ भू+ ऊर्जा = भूर्जा
ऊ+ऊ =ऊ
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