मानव वृद्धि और विकास |human growth and Development| manav vrdhi or vikas|
मानव वृद्धि और विकास (human growth and Development) : परिवर्तन ही संसार का ही एक नियम है , चाहें वस्तु सजीव जिव हो या निर्जीव हो उनमे हमेशा कोई ना कोई परिवर्तन होता ही रहता है |मानव में परिवर्तनों की श्रृंखला ही मानव का वृद्धि और विकास (Growth and Development ) में है | विकास प्राणी की यह विशेषता होती है की , जिसका शुरुआत गर्भधारण से होता है और जीवन में चलता ही रहता है | तो चलिए हम जानते है की मानव में वृद्धि और विकास ( What is Human growth and development ?) क्या है ?
मानव में वृद्धि और विकास क्या है ?
मानव विकास की परिभाषा (Definition of Human Development) :
गैसल (Gessel) :- विकास अभिवृद्धि के सम्प्रत्यय की अपेक्षा अधिक व्यापक है | इसका अवलोकन , मुल्यांकन एवं कुछ सीमा तक तीनो रूपों – शरीर –रचनात्मक , शरीर क्रिया विज्ञान विज्ञानात्मक एवं व्यवहारात्मक में मापन किया जा सकता है | व्यवहारात्मक संकेत ही विकास के सर्वाधिक व्यापक परिचायक होते है |
ई .बी .हरलॉक (E.B. Hurlock):- “ विकास अपेक्षाकृत अभिवृद्धि होने तक सीमित नही होता अपितु ऐसे प्रगतिशील परिवर्तनों में निहित है जो परिपक्वता के लक्ष्य की और व्यवस्थित रूप से उन्मुख होते है |”
हर्बट सोरेसन (H. sorenson) : “विकास का अभिप्राय परिपक्वता तथा कार्यपरक सुधार की वह प्रकिया है , जो संरचना एवं स्वरूप में हो रहे गुणात्मक तथा परिणात्मक परिवर्तनों के फलस्वरूप होती है | विकास अभिवृद्धि की अपेक्षा गुणात्मक परिवर्तन का विशिष्ठ घोतक है | “
ईरा गोर्डन (Era Gordan) : “ व्यक्ति का विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका प्रारंभ जन्म के समय से ही हो जाता है और वह तब तक चलती है , जब तक व्यक्ति पूर्णता को प्राप्त नही कर लेता है | दुसरे शब्दों में विकास व्यक्ति के अधिकतम संगठन और एकीकरण की पूर्णता की प्रक्रिया है |”
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