Freud Psychoanalytic Theory In Hindi :- इस ब्लॉग में आज हम “फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत “ के बार में विस्तार से चर्चा करेंगे. यदि आपका भी प्रश्न है कि Freud’s Psychoanalytic Theory के बार में तो इस लेख को पूरा पढ़िए. इस लेख को पढ़ने के बाद आप सिगमंड फ्रायड के बार में आसानी से समझ सकेंगे. तो चलिए शुरू करते हैं इस लेख को की Freud Psychoanalytic Theory In Hindi किया है आज हम आपको इसके बार में सही सही से बताने की पूरी कोशिश करेंगे तो चलिए इसके बार में अध्धय्यन करते है । चालों दोस्तों इसके बार में वर्णन करते है ।
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Freud Psychoanalytic Theory In Hindi

फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत (Freud’s Psychoanalytic Theory)
सिगमंड फ्रायड आस्ट्रिया के एक जाने माने मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने व्यक्ति के व्यक्तित्व के लिए सिद्धांत की स्थापना की थी जो सिद्धांत थे वे “फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत (Freud’s Psychoanalytic Theory)” कहलाया गया | जिसमें व्यक्ति की मानसिक क्रियाए व व्यवहार से संबंधित अध्यन्न किया गया | मनोविश्लेषण मुख्यत: मानव के मानसिक क्रियाओं एवं व्यवहारों के अध्ययन से सम्बन्धित है किन्तु इसे समाजों के ऊपर भी लागू किया जा सकता है।
सिगमंड फ्रायड का मनोविश्लेषण सिद्धांत । Freud Psychoanalytic Theory In Hindi
प्रतिपादक- सिगमंड फ्रायड
निवासी- ऑस्ट्रिया (वियना) 1856-1939
1.सिगमंड फ्रायड ने व्यक्तित्व के जिस सिद्धांत को प्रतिपादित किया , वह व्यक्तित्व का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत कहलाता है |
2.मनोविश्लेषण मुख्यतः मानव के मानसिक क्रियाओ और व्यवहारों के अध्ययन से संबंधित है किन्तु इसे समाज में भी लागु किया जा सकता है
मनोविश्लेषण के तीन उपयोग हैं।
- यह मस्तिष्क की परीक्षा की विधि प्रदान करता है।
- यह मानव व्यवहार से सम्बन्धित सिद्धान्तों का क्रमबद्ध समूह प्रदान करता है।
- यह मनोवैज्ञानिक या भावनात्मक रोगों के लिए चिकित्सा के लिये उपाय सुझाता है।
फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत के अनुसार व्यक्तित्व की संरचना
समाज-विज्ञान के कई अनुशासनों पर मनोविश्लेषण का भी गहरा असर है। “स्त्री- अध्ययन” “सिनेमा-अध्ययन” और “साहित्य-अध्ययन” ने मनोविश्लेषण के सिद्धांत का इस्तेमाल करके अपने शास्त्र में कई बारीकियों का समावेश किया गया है।
फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत व्यक्तित्व की संरचना का वर्णन दो मॉडल के आधार पर करता है |
1. आकारात्मक मॉडल
2. संरचनात्मक मॉडल या गत्यात्मक
1. आकारात्मक मॉडल
आकारात्मक मॉडल :- फ्रायड ने अपने मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत में आकारात्मक मॉडल से प्रस्तुत किया गया इसमें सिगमंड फ्रायड ने “मन की तीन अवस्था “को बताया | जिसको समझाने के लिए उसने बर्फ की चट्टान (Iceberg) का उदहारण दिया था |
सिगमंड फ्रायड के अनुसार :- जैसे की समुन्द्र में बर्फ की चट्टान का कुछ भाग पानी के बाहर होता है तथा अधिकाश भाग पानी के अन्दर होता ही होता है | उसी प्रकार सिगमंड फ्रायड ने “मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत “को समझाने की कोशिश की है उसी प्रकार जो भाग पानी के बाहर है वो “चेतन मन” है जो दस प्रतिशत होता है जबकि अधिकांश भाग जो पानी के अन्दर है वो “अचेतन मन” है जो 90 प्रतिशत भाग है तथा जो भाग पानी के अंदर व बाहर दोनों की बीच की स्थति में है वो “अर्धचेतन मन “है जिसका कोई आकार (Size) नही होता है ।
फ्रायड के मनोविश्लेषण सिद्धांत के कितने चरण है
यह सिद्धांत सिगमंड फ्रायड ने दीया, इन्होंने अपने सिद्धांत को समझाने के लिए मन के तीन स्तर बताएं जो इस प्रकार है।
1. चेतन मन (conscious) (10%),1\10 भाग
2. अर्धचेतन मन (half conscious)
3. अचेतन मन (unconscious) (90%),9\10 भाग
चेतन मन
यह मन वर्तमान से संबंधित है।
चेतन मन मस्तिषक की जागृत अवस्था है जो 10 प्रतिशत होती है |
अर्धचेतन मन (half conscious)
ये चेतन और अचेतन मन के बीच की अवस्था होता है | ये 0 शून्य अवस्था में होता है | इसमें हम याद की गयी बातो को भूल जाते है तथा थोडा जोर देने पर याद आ जाती है | उसे अर्धचेतन मन अवस्था कहते है ।
ऐसा मन जिसमें याद होते हुए भी याद ना आए कोई भी चीज, पर जब मन पर ज्यादा जोर दिया जाए तो यह ( कोई भी चीज) याद आ जाता है। इस प्रकार बताया गया ।
अचेतन मन (unconscious)
जो मन चेतना में नहीं होता, यह दुखी, दम्भित इच्छाओं का भंडार होता है।
अचेतन मन मस्तिषक की वह अवस्था है जो जिसमे दुःख ,दबी हुई इच्छाये , कटु अनुभव आदि होते है|
संरचनात्मक मॉडल या गत्यात्मक
सिगमंड फ्रायड के अनुसार मूल प्रवृतियो से उत्पन्न मानसिक संघर्षो का समाधान जिन साधनों के द्वारा होता है , वे सभी संरचनात्मक मॉडल या गत्यात्मक मॉडल के अंतर्गत आती है |
जिसके तीन साधन है |
1. इदम् (ID)
2. अहम् (EGO)
3. पराअहम् (SUPER EGO)
इदम् (ID)
ये व्यक्ति में जन्म जात होता है, प्रवृति- पशु प्रवृति
- सुख वादी सिद्धांत पर आधारित होता है। अर्थात इसमें व्यक्ति केवल सुख की कल्पना करता है |
- यह अचेतन मन से जुड़ा हुआ होता है। जिसका अर्थ है की ये अपनी दबी हुई इच्छाओं की पूर्ति करना चाहता है
- काम प्रवृत्ति का सबसे बड़ा सुख है। “आत्म सन्तोष की भावना।”
- इदम् पार्श्विक प्रवृत्ति से जुड़ा है।
- Id ,Ego अहम् द्वारा नियंत्रित होता है।
अहम् (EGO)
अहम् (EGO) में बुद्धि , चेतना , व तार्किकता होती है
यह अर्द्ध चेतन मन से जुड़ा है इसमें व्यक्ति कार्य के लिए विचार करता है
प्रवृति – मानवतावादी
- यह वास्तविकता पर आधारित है।
- यह अहम् (EGO) अर्द्ध चेतन मन से जुड़ा है।
- इसमें उचित अनुचित का ज्ञान भी होता है।
- यह मानवतावादी से संबंधित है।
पराअहम् (SUPER EGO)
पराअहम् (SUPER EGO) में आदर्शवाद आध्यात्मिक प्रवृति की अवस्था होती है |
पराअहम् पूरी तरह सामाजिकता एवं नैतिकता पर आधारित है। यह चेतन मन से जुड़ा हुआ है। जिस व्यक्ति में पराअहम् अधिक होता है वह बुरे विचारो से दूर रहता है |
प्रवृत्ति – देवत्त
- यह आदर्शवादी सिद्धांत है।
- यह Id और Ego पर नियंत्रित करता है।
- यह चेतन मन से जुड़ा हुआ है।
Sigmund Freud Theory In Hindi
सिगमंड फ्रायड ने दो प्रकार की मूल प्रवृत्तियां बताए हैं।
(1) जीवन मूल प्रवृत्ति – जीवन मूल जीने के लिए साधन जुटाने के लिए मानव को अभी प्रेरित करती है। यह जीवन मूल प्रवृत्ति के शारीरिक व मानसिक दोनों पक्षों का प्रतिनिधित्व करती है। इसमें काम, वासना, भूख, व्यास सभी शामिल है।
(2) मृत्यु मूल प्रवृत्ति- इस प्रवृत्ति को घृणा मूल प्रवृत्ति भी कहा जाता है। इसका संबंध विनाश नाश से है। यह मूल प्रवृत्ति जीवन मूल प्रवृत्ति के विपरीत कार्य करती है। इसमें व्यक्ति आक्रामक व विध्वंसक कार्य कर सकता है।
- इसको प्राइड ने थेनाटोस कहा जाता है।
ओडीपस व एलेक्ट्रा ग्रंथि

- सिगमंड फ्रायड के अनुसार लड़कों में ओडीपस ग्रंथि होने के कारण अपनी माता या माँ से अधिक प्यार करते हैं।
- सिगमंड फ्रायड के अनुसार लड़कियों में एलेक्ट्रा ग्रंथि होने के कारण वे अपने पिता को अधिक प्यार करती है।
फ्रायड का मनोलैंगिक विकास सिद्धांत
सिगमंड फ्रायड ने अपने मनोलैंगिक विकास सिद्धात में काम प्रवृति को विकास का महत्वपूर्ण अंग माना है , इसके लिए सिगमंड फ्रायड ने मनोलैंगिक विकास का सिद्धांत दिया |
लिबिड़ो
लिबिड़ो :- काम की शक्तियों को कहते है जिस मे सुख की अनुभूति होती है |
फ्रायड ने अपने सिद्धांत में प्रेम , स्नेह व काम प्रवृति को लिबिड़ो कहा गया है |
सिगमंड फ्रायड के अनुसार यह एक स्वाभाविक प्रवृति है जिसका पूर्ण होना आवश्यक है , यदि इन प्रवृतियों को दबाया जाता है तो व्यक्ति कुसमायोजित (एक व्यक्ति जो अपने आप को या अपने विचारों को किसी स्थिति या परिस्थिति के साथ संतुलित या अनुकूलित करने में सक्षम नहीं होता, तो वह व्यक्ति कुसमायोजित व्यक्ति कहलाता है)

सन्दर्भ :- wikipedia.org
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