April 29, 2024

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फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत 1

Freud Psychoanalytic Theory In Hindi । फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत

Freud Psychoanalytic Theory In Hindi :- इस ब्लॉग में आज हम  “फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत “ के बार में विस्तार से चर्चा करेंगे. यदि आपका भी प्रश्न है कि Freud’s Psychoanalytic Theory के बार में तो इस लेख को पूरा पढ़िए. इस लेख को पढ़ने के बाद आप सिगमंड फ्रायड के बार में  आसानी से समझ सकेंगे. तो चलिए शुरू करते हैं इस लेख को Psychoanalytic Theory in hindi किया है  आज हम आपको sigmund freud theory of personality in hindi इसके बार में बताने की पूरी कोशिश करेंगे तो चलिए इसके बारे में वर्णन करते है ।

Freud Psychoanalytic Theory In Hindi

Freud Psychoanalytic Theory In Hindi
Freud Psychoanalytic Theory In Hindi

फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत ( Freud Psychoanalytic Theory )

सिगमंड फ्रायड आस्ट्रिया के एक  जाने माने मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने व्यक्ति के व्यक्तित्व के लिए सिद्धांत की स्थापना की थी जो सिद्धांत थे वे “फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत ( Freud Psychoanalytic Theory)” कहलाया गया  | जिसमें व्यक्ति की मानसिक क्रियाए व व्यवहार से संबंधित अध्यन्न किया गया | मनोविश्लेषण मुख्यत: मानव के मानसिक क्रियाओं एवं व्यवहारों के अध्ययन से सम्बन्धित है किन्तु इसे समाजों के ऊपर भी लागू किया जा सकता है।

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सिगमंड फ्रायड का मनोविश्लेषण सिद्धांत । Freud Psychoanalytic Theory In Hindi

प्रतिपादक-  सिगमंड फ्रायड

 निवासी-   ऑस्ट्रिया (वियना) 1856-1939

1.सिगमंड फ्रायड ने  व्यक्तित्व के जिस सिद्धांत को प्रतिपादित किया , वह व्यक्तित्व का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत कहलाता है |
2.मनोविश्लेषण मुख्यतः मानव के मानसिक क्रियाओ और व्यवहारों के अध्ययन से संबंधित है किन्तु इसे समाज में भी लागु किया जा सकता है

मनोविश्लेषण के तीन उपयोग हैं।

  1. यह मस्तिष्क की परीक्षा की विधि प्रदान करता है।
  2. यह मानव व्यवहार से सम्बन्धित सिद्धान्तों का क्रमबद्ध समूह प्रदान करता है।
  3. यह मनोवैज्ञानिक या भावनात्मक रोगों के लिए  चिकित्सा के लिये उपाय सुझाता है।

फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत के अनुसार व्यक्तित्व की संरचना

समाज-विज्ञान के कई अनुशासनों पर मनोविश्लेषण का भी  गहरा असर है। “स्त्री- अध्ययन” “सिनेमा-अध्ययन” और “साहित्य-अध्ययन” ने मनोविश्लेषण के सिद्धांत का इस्तेमाल करके अपने शास्त्र में कई बारीकियों का समावेश किया गया  है।

फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत व्यक्तित्व की संरचना का वर्णन दो मॉडल के आधार पर करता है  |

1. आकारात्मक मॉडल
2. संरचनात्मक मॉडल या गत्यात्मक 

Sigmund Freud Theory In Hindi
Sigmund Freud Theory In Hindi

1. आकारात्मक मॉडल

आकारात्मक मॉडल :- फ्रायड ने अपने मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत में आकारात्मक मॉडल से  प्रस्तुत किया गया इसमें सिगमंड फ्रायड ने “मन की तीन अवस्था “को बताया | जिसको  समझाने के लिए उसने बर्फ की चट्टान (Iceberg) का उदहारण दिया था  |

सिगमंड फ्रायड के अनुसार :- जैसे की  समुन्द्र में बर्फ की चट्टान का कुछ भाग पानी के बाहर होता है तथा अधिकाश भाग पानी के अन्दर होता ही होता है | उसी प्रकार सिगमंड फ्रायड ने ” मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत “को समझाने की कोशिश की है उसी प्रकार जो भाग पानी के बाहर है वो “चेतन मन” है जो दस  प्रतिशत होता है जबकि अधिकांश भाग जो पानी के अन्दर है वो “अचेतन मन” है जो 90 प्रतिशत भाग है तथा जो भाग पानी के अंदर व बाहर दोनों की बीच की स्थति में है वो “अर्धचेतन मन “है जिसका कोई आकार (Size) नही  होता है ।

फ्रायड के मनोविश्लेषण सिद्धांत के कितने चरण है

यह सिद्धांत सिगमंड फ्रायड ने दीया, इन्होंने अपने सिद्धांत को समझाने के लिए मन के तीन स्तर बताएं जो इस प्रकार है।

1. चेतन मन (conscious)  (10%),1\10  भाग
2. अर्धचेतन मन (half conscious)
3. अचेतन मन (unconscious) (90%),9\10  भाग

 चेतन मन

यह मन वर्तमान से संबंधित है।
चेतन मन मस्तिषक की जागृत अवस्था है जो 10 प्रतिशत होती है |

 अर्धचेतन मन (half conscious)

ये चेतन और अचेतन मन के बीच की अवस्था होता है | ये 0 शून्य अवस्था में होता है | इसमें हम याद की गयी बातो को भूल जाते है तथा थोडा जोर देने पर याद आ जाती है | उसे अर्धचेतन मन अवस्था कहते है ।

ऐसा मन जिसमें याद होते हुए भी याद ना आए कोई भी चीज, पर जब मन पर ज्यादा जोर दिया जाए तो यह ( कोई भी चीज)  याद आ जाता है। इस प्रकार बताया गया ।

अचेतन मन (unconscious)

अचेतन  जन्मजात  होता है ।

जो मन चेतना में नहीं होता, यह दुखी, दम्भित इच्छाओं का भंडार होता है।

अचेतन मन मस्तिषक की वह अवस्था है जो  जिसमे दुःख ,दबी हुई इच्छाये , कटु अनुभव आदि होते है|

अचेतन मन किया किया होता है :- भावना , सवेग  और मूलप्रवृत्ति 

भावना , संवेग और मूलप्रवृत्ति भी  जन्मजात  है .

भावना का अर्थ किया होता है – विचारो का आंतरिक रूप भावना कहलाता है । अपने मन की मन में सोचता है उस भावना कहा जाना है । 

   संवेग की परिभाषा किया है :- विचारो का बाहय प्रकाशन  करने की बात को ही संवेग कहलाता है ।

मूलप्रवृत्ति की परिभाषा  :- विचारो का क्रियात्मक रूप को मूलप्रवृत्ति कहते है जो काम पूरा किया उसे मूलप्रवृत्ति भी कहते है 

 संरचनात्मक मॉडल या गत्यात्मक 

सिगमंड फ्रायड के अनुसार मूल प्रवृतियो से उत्पन्न मानसिक संघर्षो का समाधान जिन साधनों के द्वारा होता है , वे सभी संरचनात्मक मॉडल या गत्यात्मक मॉडल के अंतर्गत आती है |
जिसके तीन साधन है |

1. इदम् (ID)
2. अहम् (EGO)
3. पराअहम् (SUPER EGO)

 इदम् (ID)

ये व्यक्ति में जन्म जात होता है, प्रवृति- पशु प्रवृति

  • सुख वादी सिद्धांत पर आधारित होता है।  अर्थात इसमें व्यक्ति केवल सुख की कल्पना करता है |
  •  यह अचेतन मन से जुड़ा हुआ होता है। जिसका अर्थ है की ये अपनी दबी हुई इच्छाओं की पूर्ति करना चाहता है
  •  काम प्रवृत्ति का सबसे बड़ा सुख है। “आत्म सन्तोष की भावना।”
  •  इदम् पार्श्विक प्रवृत्ति से जुड़ा है।
  •  Id ,Ego अहम् द्वारा नियंत्रित होता है।

अहम् (EGO)

अहम् (EGO) में बुद्धि , चेतना , व तार्किकता होती है 
यह अर्द्ध चेतन मन से जुड़ा है इसमें व्यक्ति कार्य के लिए विचार करता है
प्रवृति – मानवतावादी

  • यह   वास्तविकता पर आधारित है।
  •  यह अहम् (EGO) अर्द्ध चेतन मन से जुड़ा है।
  •  इसमें उचित अनुचित का ज्ञान भी  होता है।
  •  यह मानवतावादी से संबंधित है।

पराअहम् (SUPER EGO)

पराअहम् (SUPER EGO) में आदर्शवाद आध्यात्मिक प्रवृति की अवस्था होती है |
पराअहम् पूरी तरह सामाजिकता एवं नैतिकता पर आधारित है। यह चेतन मन से जुड़ा हुआ है। जिस व्यक्ति में पराअहम् अधिक होता है वह बुरे विचारो से दूर रहता है |
प्रवृत्ति – देवत्त

  • यह आदर्शवादी सिद्धांत है।
  •  यह  Id और Ego पर नियंत्रित करता है।
  •  यह चेतन मन से जुड़ा हुआ है।

Sigmund Freud Theory In Hindi

 सिगमंड फ्रायड ने दो प्रकार की मूल प्रवृत्तियां बताए हैं। 

(1)  जीवन मूल प्रवृत्ति – जीवन मूल जीने के लिए साधन जुटाने के लिए मानव को अभी प्रेरित करती है।  यह जीवन मूल प्रवृत्ति के शारीरिक व मानसिक दोनों पक्षों का प्रतिनिधित्व करती है।  इसमें काम, वासना, भूख, व्यास सभी शामिल है।

(2)  मृत्यु मूल  प्रवृत्ति- इस प्रवृत्ति को घृणा मूल प्रवृत्ति भी कहा जाता है।  इसका संबंध विनाश नाश से है। यह मूल प्रवृत्ति जीवन मूल प्रवृत्ति के विपरीत कार्य करती है।  इसमें व्यक्ति आक्रामक व विध्वंसक कार्य कर सकता है।

  • इसको प्राइड ने थेनाटोस कहा जाता है।

ओडीपस व एलेक्ट्रा ग्रंथि 

sigmund freud theory in hindi
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  • सिगमंड फ्रायड के अनुसार लड़कों में ओडीपस  ग्रंथि होने के कारण अपनी माता या माँ  से अधिक प्यार करते हैं।
  • सिगमंड फ्रायड के अनुसार लड़कियों में  एलेक्ट्रा ग्रंथि होने के कारण वे अपने पिता को अधिक प्यार करती है।

फ्रायड का मनोलैंगिक विकास सिद्धांत

सिगमंड फ्रायड ने अपने मनोलैंगिक विकास सिद्धात में काम प्रवृति को विकास का महत्वपूर्ण अंग माना है , इसके लिए सिगमंड फ्रायड ने मनोलैंगिक विकास का सिद्धांत दिया |

लिबिड़ो

लिबिड़ो :- काम  की शक्तियों को कहते है जिस मे सुख की अनुभूति होती है |
फ्रायड ने अपने सिद्धांत में प्रेम , स्नेह व काम प्रवृति को लिबिड़ो कहा गया है |
सिगमंड फ्रायड के अनुसार यह एक स्वाभाविक प्रवृति है जिसका पूर्ण होना आवश्यक है , यदि इन प्रवृतियों को दबाया जाता है तो व्यक्ति कुसमायोजित (एक व्यक्ति जो अपने आप को या अपने विचारों को किसी स्थिति या परिस्थिति के साथ संतुलित या अनुकूलित करने में सक्षम नहीं होता, तो वह व्यक्ति कुसमायोजित व्यक्ति कहलाता है)

फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत
फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत

sigmund freud theory in hindi

सिगमंड फ्रायड की मनोलैंगिक विकास की अवस्थाये

1. मुखावस्था – जन्म से 1 वर्ष
2. गुदावस्था – 1 से 2 वर्ष
3. लिंग प्रधानावस्था – 2 से 5 वर्ष
4.अव्यक्तावस्था  – 6 से 12 वर्ष
5. जननेंद्रियावस्था – 12 वर्ष के बाद

सिगमंड फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत

सिगमंड फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत
सिगमंड फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत

1. मुखावस्था (oral Stage) – जन्म से 1 वर्ष

मुखावस्था मनोलैंगिक विकास की प्रथम अवस्था है | यह अवस्था मनुष्य के जन्म से लेकर लगभग 1 वर्ष से कम आयु तक की होती  है | इस अवस्था में लिबिड़ो क्षेत्र “मुख” होता है।

इस अवस्था में  बालक में मुख से करने वाली क्रियाओ में आनंद की अनुभूति होती है जैसे जैसे- चूसना, निगलना, जबड़े या दाँत निकल आने पर दबाना, काटना इत्यादि।
फ्रायड के अनुसार :- इस अवस्था में व्यक्ति में दो तरह के व्यक्तित्व विकसित होते है | इस प्रकार मुख्यवस्था का विकास होता है ।

1. मुखवर्ती निष्क्रिय व्यक्तित्व  – आशावादिता ,विश्वास का गुण

2. मुखवर्ती /अनुवर्ती आक्रामक व्यक्तित्व– शोषण ,प्रभुत्व, दुसरो को पीड़ा देना आदि गुण पाए जाते है |

फ्रायड ने ध्रूमपान की आदत को लिबिड़ो की कम  संतुष्टि माना है |

2. गुदावस्था (Anal Stage)- 1 से 2 वर्ष

ये मनोलैंगिक विकास की दूसरी अवस्था है इसमें कामुकता का क्षेत्र मुख की जगह “गुदा” होता है , जिसके कारण बच्चे मल-मूत्र त्यागने और उन्हें रोकने में आन्नद की अनुभूति करते है | इसी अवस्था में बालक प्रथम बार अंतद्वंद की अनुभूति करता है |

3. लिंग प्रधानावस्था (Phalic Stage) – 2 से 5 वर्ष

sigmund freud theory in hindi pdf

ये मनोलैंगिक विकास की तीसरी अवस्था है इसमें लिबिड़ो का स्थान “जननेंद्रिय” होता है |
इस अवस्था में लड़के में “मातृ प्रेम” की उत्पति व लडकियों में “पितृ प्रेम” की उत्पति होती है | जिसका कारण फ्रायड ने लडको में “मातृ मनोग्रंथि (Oedipus Complex) ” तथा लडकियों में ” पितृ मनोग्रंथि (Electra Complex)” को बताया है |
“मातृ मनोग्रंथि (Oedipus Complex) “ के कारण लडको से अचेतन मन में अपनी माता के लिए लैंगिक प्रेम की इच्छा होती है जबकि ” पितृ मनोग्रंथि (Electra Complex)” के कारण लडकियों में अपने पिता की लिए लैंगिक आकर्षण उत्पन्न होने लगता है |

4.अव्यक्तावस्था (latency Stage) -6 से 12 वर्ष

ये मनोलैंगिक विकास की चौथी अवस्था है इसमें लिबिड़ो का क्षेत्र अदृश्य हो जाता है | ये प्रत्यक्ष नही होता है लेकिन माना जाता है की वह सामाजिक कार्यो और हमउम्र के बच्चो के साथ खेल कर अदृश्य लिबिड़ो को संतुष्टि प्राप्त करते है |

5. जननेंद्रियावस्था (Gental Stage) 12 वर्ष के बाद

ये मनोलैंगिक विकास की चौथी अवस्था है ये 12 वर्ष के बाद निरंतर चलती है | इसमें हार्मोन्स का निर्माण होने लगता है जिसके कारण से इस अवस्था में विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण होने लगता है | ये आकर्षण बहुत ही तीव्र होते है |

स्वमोह (नर्सिसिज्म)

फ्रायड के अनुसार जब बालक शैशव अवस्था में होता है तो अपने रूप पर मोहित हो जाता है और अपने आप से प्रेम करने लग जाता है |
इस प्रकार स्वमोह/आत्म प्रेम को  फ्रायड ने “नर्सिसिज्म ” शब्द दिया | नर्सिसिज्म किशोर अवस्था में सर्वाधिक होता है

सन्दर्भ :- wikipedia.org

मनोविज्ञान के संप्रदाय

फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत pdf

फ्रायड का मनोविश्लेषण सिद्धांत pdf

FAQ:-सिगमंड फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत

Q  1 फ्रायड के 3 सिद्धांत क्या हैं?

उत्तर:-1)चेतन मन- यह मन वर्तमान से संबंधित है। (2) अर्द्ध चेतन मन – ऐसा मन जिसमें याद होते हुए भी याद ना आए कोई भी चीज, पर जब मन पर ज्यादा जोर दिया जाए तो यह ( कोई भी चीज) याद आ जाता है। (3) अचेतन मन – जो मन चेतना में नहीं होता, यह दुखी, दम्भित इच्छाओं का भंडार होता है।

Q  2 फ्रायड के अनुसार व्यक्तित्व के कितने पहलू है?

  उत्तर:-फ्रायड के मूल प्रवित्ति के सिद्धांत में चर्चा करते हुए हमारे जीवन के दो पहलुओं को जीवन की मूल प्रवित्ति मानते है

Q  3 सिगमंड फ्रायड ने मन के कितने स्तर बताए हैं?

    उत्तर:-फ्रायड ने मन के तीन स्तर बताए हैं– चेतन अवचेतन तथा अचेतन  

Q#4 फ्रायड के मनोविश्लेषण सिद्धांत के कितने चरण है

Ans:- यह सिद्धांत सिगमंड फ्रायड ने दीया, इन्होंने अपने सिद्धांत को समझाने के लिए मन के तीन स्तर बताएं जो इस प्रकार है।

1. चेतन मन (conscious)  (10%),1\10  भाग
2. अर्धचेतन मन (half conscious)
3. अचेतन मन (unconscious) (90%),9\10  भाग

Q#5 सिगमंड फ्रायड ने दो प्रकार की मूल प्रवृत्तियां बताए हैं। 

Ans:- (1)  जीवन मूल प्रवृत्ति (2)  मृत्यु मूल  प्रवृत्ति

Q#6 फ्रायड के अनुसार मन के प्रकार

Ans:-  सिगमंड फ्रायड के अनुसार मनुष्य का आंतरिक मन एवं उसकी बुद्धि के कार्य करने का आधार तीन प्रकार के हैं- चेतन, अचेतन और अर्द्धचेतन

Q#7 मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत क्या है?

Ans:- सिगमंड फ्रायड आस्ट्रिया के एक  जाने माने मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने व्यक्ति के व्यक्तित्व के लिए सिद्धांत की स्थापना की थी। फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत इस पोस्ट में पढ़े ।

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