राजस्थान का एकीकरण : आज के लेख में हम राजस्थान जीके में Rajasthan ka ekikaran कैसे हुआ और कब हुआ इसके बार में आज हम विस्तार से इसके बारे में बात करेग और राजस्थान का एकीकरण से सम्बंधित याद करने की ट्रिक ( ट्रिक राजस्थान gk ) के बार में विस्तार से जानकारी देंगे स्वतंत्रता के में समय राजस्थान में 19 रियासतें, 3 ठिकाने( चीफ़शिफ़), जिनमें लावा (टोंक), कुशलगढ़ ( बांसवाड़ा ) नीमराना ( अलवर) एक केंद्र शासित प्रदेश अजमेर-मेरवाङा का छोटा सा क्षेत्र ब्रिटिश शासन के अंतर्गत था।
Rajasthan Ka Ekikaran
- राजस्थान का एकीकरण सात चरणों में 18 मार्च 1948 से शुरू होकर 1 नवम्बर , 1956 को पूरा हुआ
- राजस्थान का एकीकरण के समय राजस्थान में 19 विदेशी रियासतों व 3 ठिकाने तथा 1 केंद्र शासित प्रदेश अजमेर-मेरवाङा था ( केंद्र शासित प्रदेश को चीफ कमिशनर क्षेत्र भी कहा जाता है )
- राजस्थान का एकीकरण सात चरणों में पूर्ण हुआ इसका एकीकरण में 8 वर्ष , 7 महा एव 14 दिने का समय लगा
- राजस्थान में एकीकरण का श्रेय रियासती विभाग के अध्यक्ष ” सरदार बल्लभ भाई पटेल , तथा रियासती विभाग के सचिव v.p. मेनन को जाता है
- प्रिवीपर्स :- राजाओ को दी जाने वाली वार्षिक पेंशन ( भाता ) जो लाखो में था उसे प्रिवीपर्स कहा जाता है ।
- राजस्थान में सबसे ज्यादा जयपुर रियासत को भत्ता जो 18 लाख वार्षिक था
- राजस्थान में सबसे कम शाहपुरा रियासत को भत्ता जो 90 हजार वार्षिक था
- ठिकानो में सबसे ज्यादा कुशलगढ़ ठिकाने का वार्षिक भत्ता था
- ठिकानो में सबसे कम लावा टोंक ठिकाने का वार्षिक भत्ता था
राजस्थान का एकीकरण के समय में
- राजस्थान में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ी रियासत ‘जोधपुर” थी ।
- राजस्थान में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटी रियासत “शाहपुरा” थी ।
- राजस्थान में जनसख्या के आधार पर सबसे बड़ी रियासत” जयपुर” थी।
- राजस्थान में जनसख्या के आधार पर सबसे छोटी रियासत “शाहपुरा” थी।
- राजस्थान में सबसे प्राचीन रियासत मेवाड़ ( उदयपुर ) थी
- जबकि सबसे नवीन या नई रियासत “झालावाड़ “थी ( जो अग्रेजो द्वारा स्थापित अंतिम रियासत थी )
- झालावाड़ के प्रथम शासक मदनसिह थे ।
- शाहपुरा व किशनगढ़ ऐसी रियासते थी जिन्हे तोप की सलामी का अधिकार नहीं था । लेकिन महाराणा उदयपुर को 19 तोपों की सलामी दी जाती थी
- लकिने 19 रियासतों को तोपों की सलामी दी जाती थी इसलिए इन्हे ” सेल्यूट स्टेट ” कहा जाता था , जबकि लावा , नीमराणा, कुशलगढ़ ठिकानो के शासको को तोपों की सलामी नहीं दी जाती थी अत: इन्हे “नॉन सेल्यूट स्टेट” कहा जाता था ।
Rajasthan Ka Ekikaran In Hindi
- एकीकरण के समय एकमात्र मुस्लिम रियासत – “टोंक” थी ।
- एकीकरण के समय एकमात्र जाट रियासत – ” भरतपुर “ थी ।
- एकीकरण के समय शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने वाली रियासत”डुंगरपुर “‘थी ।
- एकीकरण के समय सबसे पहले उत्तरदायी शासन स्थापित करने वाली रियासत – शाहपुरा ( भीलवाड़ा ) थी जिनके शासक राजा सुदशर्न देव थे जो गोकुललाल असावा के नेतृत्व में मत्रिमंडल का गठन किया ।
- गोकुल भाई भट्ट के नेतृत्व में चले आंदोलन के कारण माउन्ट आबू व देलवाड़ा को राजस्थान में मिलिया गया
- एकीकरण की प्रकिया में सबसे अंत में राजस्थान एकीकरण में शामिल होने वाली रियासत सिरोही थी ।
- गोकुल भाई भट्ट का गांव हाथळ गांव ( सिरोही ) था ।
- सिरोही (आबू व देलवाड़ा सहित ) व चीफ कमिश्नर क्षेत्र अजमेर – मेरवाड़ा को राज्य के पुनर्गठन आयोग ( अथ्यक्ष फैजल अली ) की सिफारिश पर राजस्थान में शामिल किया गया ।
नोट्स : एकीकरण के दौरान बांसवाड़ा नरेश चंद्रवीर सिंह ने कहा था की ” में अपने मृत्यु प्रमाण पर हस्ताक्षर कर रहा हु जिसके लिए मुझे आने वाली पीढ़िया कभी माफ़ नहीं करेगी । ये कथन बांसवाड़ा नरेश चंद्रवीर सिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते समय कहा था ।
rajasthan ekikaran
- मत्स्य संघ की दो रियासतें धौलपुर व भरतपुर के कुछ लोग भाषा के आधार पर उत्तरप्रदेश में मिलना चाहते थे , लेकिन भारत सरकार द्वारा गठित डॉ शंकर देव राय कमेटी की सिफारिश पर मत्स्य संध को वृहद राजस्थान में शामिल किया गया ।
- बंबई प्रान्त का 1960 में विभाजन से दो नए राज्य गुजरात व महाराष्ट्र जो भाषा के आधार पर बने थे ।
- भारत की आजादी के समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट इटली थे ।
- अग्रजो ने देशी रियासतों को यह अधिकार दिया था की या तो वो पाक में शामिल हो जाये या भारत में स्वतत्र रहे ।
- भारत सरकार में स्वतंत्र असितत्व रखने वाली रियासतों के लिए यह शर्त रखी की 10 लाख की आबादी तथा 1 करोड की वार्षिक आय होना चाहिए । यह शर्त पूरी करने वाली राजस्थान में केवल चार रियासतें थी 1 जयपुर 2 जोधपुर 3 बीकानेर 4 उदयपुर
- राज्य की बड़ी रियासतें अपना स्वतंत्र असितत्व बनाये रखना चाहती थी किन्तु भारत सरकार के दबाव के परिणामस्वरूप विभिन्न देशी रियासतों को समिमलित कर राजस्थान का एकीकरण कार्य प्रारम्भ किया गया
- समाजवादी दल के नेता जयप्रकाश नारायण ने सर्वप्रथम 9 नवम्बर 1948 को अविलम्ब वृहद राजस्थान के निर्माण की माँगे की
- एकीकृत राजस्थान का निर्माण की मांग करने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर राममनोहर लोहिया की अध्यक्षता में राजस्थान आंदोलन समिति का गठन किया
- एकीकरण के समय जोधपुर के शासक हनुमत सिंह पहले पाकिस्तान में शामिल होने चाहते थे , जो मुहम्मद अली जिन्ना व भोपाल नवाब के कहने पर पाक में मिलना चाहते थे , लेकिन सरदार पटेल व v .p मेनन के प्रयासों जोधपुर का भारत में विलय हुआ
- गांधीजी की हत्या का सबंध अलवर रियासतें से थे
नोट्स :- अलवर के शासक व उसके दीवान नारायण भास्कर खरे थे हत्या से पहले नाथूराम गोडसे दो महीने तक अलवर में रहा था
वृहद राजस्थान के निर्माण के समय भारत सरकार द्वारा गठित डॉ पी सत्यनारायण राव कमेटी ने भौगोलिक व पेयजल की सुविधा की दृष्टि से जयपुर को राजधानी बनाने , तथा जोधपुर में उच्च न्यायालय , भरतपुर में कृषि विभाग , उदयपुर में खनिज तथा बीकानेर में शिक्षा विभाग का मुख्यालय रखने का निर्णय लिया गया ।
राजस्थान का एकीकरण के चरण
राजस्थान का एकीकरण सात चरणों में पूरा हुआ था राजस्थान अपने वर्तमान स्वरूप 1 नवम्बर 1956 को आया इससे पहले राजस्थान निर्माण के निम्नलिखित 7 चरणों से गुजरा है जो इस प्रकार है।
Rajasthan Ka Ekikaran Chart
प्रथम चरण – मत्स्य संघ
- प्रथम चरण का नाम मत्स्य संघ था
- इसका उद्घाटन दिनांक 18 मार्च 1948 को किया गया और उद्घाटनकर्ता एन वी गाडगिल ने किया था ।
- इसमें निन्न रियासते थी जो जिसको हम सरल ट्रिक से याद करे सकते है जो इस प्रकार है – A B C D नीम के निचे
- A का अलवर B का भरतपुर C करोली और D का धौलपुर + इसमें (नीम) नीमराना ठिकाना शामिल था
- मत्स्य संघ की राजधानी अलवर थी
- धौलपुर के महाराज को उदयभानसिंह को मत्स्य संघ का राजप्रमुख बनाया गया ।
- करोली महाराज को उपराजप्रमुख बनाया गया ।
- अलवर के प्रजामंडल के नेता “श्री शोभाराम कुमावत” को मत्स्य संघ का प्रधानमत्री बनाया गया ।
- मत्स्य संघ का नामकरण “के एम मुंशी” ने रखा था ।
भारत सरकार के और से प्रशसनिक सहायता के लिए एक प्रशासक की नियुक्ति की गई , यह उत्तरदायित्व पहले बी एल सेठ और बाद में के बी लाल ने सभाला । मत्स्य संघ 7 अक्टूबर 1948 को भारत संघ में शामिल हो गया । इसका क्षेत्रफल 12000 हजार वर्ग किलोमीटर जनसख्या लगभग 18 लाख तथा वार्षिक आय 2 करोड़ थी
द्वितीय चरण पूर्व राजस्थान
- द्वितीय चरण का नाम पूर्व राजस्थान था
- इसका उद्घाटन दिनांक 25 मार्च 1948 को किया गया और उद्घाटनकर्ता एन वी गाडगिल ने किया था ।
- इसमें 9 रियासते 1 ठिकाने थी जो जिसको हम सरल ट्रिक से याद करे सकते है जो इस प्रकार है – कोझा बाबू डुबे पर शाह किशन ने टोक
- कोटा , झालावाड़ , बांसवाड़ा , बूंदी , डूगरगढ़, प्रतापगढ़, शाहपुर ,किशनगढ़ ,टोंक , कुशलगढ़
- पूर्व राजस्थान की राजधानी कोटा थी
- कोटा सबसे बड़ी रियासते थी ।
- कोटा के महाराज को भीमसिंह को पूर्व राजस्थान का राजप्रमुख बनाया गया ।
- बूंदी के महाराज को बहादुरसिंह उपराजप्रमुख बनाया गया ।
- शाहपुरा के गोकुललाल असावा को प्रधानमत्री बनाया गया ।
इस संघ का क्षेत्रफल 16800 वर्गमील , आबादी 23.5 लाख तथा वार्षिक आय 1.90 करोड़ थी । शाहपुरा व किशनगढ़ रियासतों को तोप सलामी का अधिकार नहीं था ।
तृतीय चरण संयुक्त राजस्थान
- तृतीय चरण का नाम संयुक्त राजस्थान था
- इसका उद्घाटन दिनांक 18 अप्रैल 1948 को किया गया और उद्घाटनकर्ता पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था ।
- इसमें पूर्व राजस्थान में उदयपुर जो जिसको हम सरल ट्रिक से याद करे सकते है जो इस प्रकार है – पूर्व राज + उदयपुर
- संयुक्त राजस्थान की राजधानी उदयपुर थी
- उदयपुर के महाराज को भूपालसिंह को संयुक्त राजस्थान का राजप्रमुख बनाया गया ।
- कोटा के महाराज को भीमसिंह वरिष्ठ उपराजप्रमुख बनाया गया ।
- उदयपुर के माणिक्यलाल वर्मा को प्रधानमत्री बनाया गया ।
बूंदी व डूगरगढ के शासको को कनिष्ठ उपराजप्रमुख बनाया गया , और मंत्रिपरिषद में गोकुललाल असावा , अभिन्न हरी, मोहनलाल सुखाड़िया , भूरेलाल बयां, भोगलाला पंड्या , बृजसुंदर शर्मा को शामिल किया गया ।
चतुर्थ चरण वृहद राजस्थान
- चतुर्थ चरण का नाम वृहद राजस्थान था
- इसका उद्घाटन दिनांक 30 मार्च 1949 को किया गया और उद्घाटनकर्ता सरदार पटेल ने किया था ।
- इसमें संयुक्त राजस्थान व जयपुर , जोधपुर , जैसलमेर , बीकानेर रियासते शामिल की जिसको हम सरल ट्रिक से याद करे सकते है जो इस प्रकार है – J J J B + संयुक्त राजस्थान
- वृहद राजस्थान की राजधानी जयपुर थी
- जयपुर के महाराज को सवाई मानसिंह द्वितीय को वृहद राजस्थान का राजप्रमुख बनाया गया ।
- कोटा के महाराज को भीमसिंह उपराजप्रमुख बनाया गया ।
- जयपुर के हीरालाल शास्त्री को प्रधानमत्री / मुख्यमंत्री बनाया गया ।
- उदयपुर के भूपालसिंह को महाराज प्रमुख बनाया गया ।
- 30 मार्च को राजस्थान दिवस मनाया जाता है ।
वृहद राजस्थान के निर्माण के समय भारत सरकार द्वारा गठित डॉ पी सत्यनारायण राव कमेटी ने भौगोलिक व पेयजल की सुविधा की दृष्टि से जयपुर को राजधानी बनाने , तथा जोधपुर में उच्च न्यायालय , भरतपुर में कृषि विभाग व एक्साइज वभाग , कोटा में वन एवं सहकारी विभाग ,उदयपुर में खनिज तथा बीकानेर में शिक्षा विभाग का मुख्यालय रखने का निर्णय लिया गया ।
पंचम चरण सयुक्त वृहद राजस्थान
- पंचम चरण का नाम सयुक्त वृहद राजस्थान था
- इसका उद्घाटन दिनांक 15 मई 1949 को किया गया ।
- इसमें वृहद राजस्थान व मत्स्य संघ रियासते शामिल की जिसको हम सरल ट्रिक से याद करे सकते है जो इस प्रकार है 4 +1 इसका मतलब 4 का सयुक्त वृहद राजस्थान + 1 का मतलब मत्स्य संघ मिलकर बना सयुक्त वृहद राजस्थान
- सयुक्त वृहद राजस्थान की राजधानी जयपुर थी
- जयपुर के महाराज को सवाई मानसिंह द्वितीय को सयुक्त वृहद राजस्थान का राजप्रमुख बनाया गया ।
- जयपुर के हीरालाल शास्त्री को प्रधानमत्री / मुख्यमंत्री बनाया गया ।
मत्स्य संघ को सयुक्त वृहद राजस्थान में विलय करने के लिए और इस मुद्दे को सुलझाने के लिए श्री शंकरदेव की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया प्रश्नावली के द्वारा व आमसभा के जरिये लोगो का मत जानने के बाद समिति ने मत्स्य संघ के राजस्थान में विलय की राय दी ।
छठा चरण राजस्थान संघ
- छठा चरण का नाम राजस्थान संघ था
- इसका उद्घाटन दिनांक26 जनवरी 1950 को किया गया ।
- इसमें आबू व देलवाड़ा को छोड़कर शेष सिरोही को राजस्थान में शामिल किया गया
- सयुक्त वृहद राजस्थान की राजधानी जयपुर थी
- जयपुर के महाराज को सवाई मानसिंह द्वितीय को सयुक्त वृहद राजस्थान का राजप्रमुख बनाया गया ।
- जयपुर के हीरालाल शास्त्री को प्रधानमत्री / मुख्यमंत्री बनाया गया ।
- इस राज्य का क़ानूनी / विधिवत रूप राजस्थान कर दिया ।
- राजस्थान ‘ बी ” श्रेणी का राज्य बना ।
सातवाँ चरण राजस्थान / नवीन राजस्थान
- सातवा चरण का नाम राजस्थान / नवीन राजस्थान था
- इसका उद्घाटन दिनांक 1 नवम्बर 1956 को किया गया ।
- इसमें आबू व देलवाड़ा अजमेर – मेरवाड़ा और सुनील टप्पा को राजस्थान में शामिल किया गया
- राजस्थान की राजधानी जयपुर थी।
- राजस्थान में राजप्रमुख का पद समाप्त कर इसके स्थान पर राज्यपाल पद की शुरुआत की गयी ।
- जयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया मुख्यमंत्री बनाया गया ।
- 7वें संविधान संशोधन द्वारा राज्यों की श्रेणियाँ समाप्त ।
- भारत में राज्य का पुनर्गठन किया गया
- राज्य पुनगर्ठन आयोग का अध्यक्ष फैजल अली को बनाया गया
राजस्थान के एकीकरण से जुड़ी समस्याएँ:
1. सर्वोच्चता की समस्या : एक सर्वोच्च शक्ति के रूप में ब्रिटिश सत्ता का भारत में अन्त होने वाला था। उसका स्थान ग्रहण करने वाली भारत सरकार के सामने देशी राज्यों का प्रश्न समस्या बन कर खड़ा था। इन राज्यों का तर्क था कि वे सदा से ही सार्वभौम शक्तियाँ है क्योंकि उनकी संधियों सीधी ब्रिटिश सम्राट के साथ हैं, अतः उनकी यह संवैधानिक स्थिति उनकी इच्छा के विरूद्ध किसी भी अन्य सत्ता को हस्तांतरित नहीं की जा सकती।
2. शासकों का मत : स्वतंत्रता व विभाजन के पश्चात् फैले झगड़े समस्या के मुख्य कारण थे। अलवर व भरतपुर में मेव जाति की
समस्या उभर कर आई। साथ ही गांधीजी की हत्या में अलवर राज्य का नाम आने से उसे स्वतंत्र नहीं छोड़ा जा सकता था। यहाँ के शासक ने भी स्वतंत्रता दिवस उल्लासपूर्वक नहीं मनाया था।जोधपुर की भौगोलिक व सामरिक स्थिति अत्यधिक महत्त्वपूर्ण थी. पाकिस्तान की तरफ से जोधपुर को अपनी और मिलाने की चर्चा जोरों पर थी, भारत सरकार यह जोखिम नहीं उठा सकती थी।
मेवाड़ अपनी विशिष्ट ऐतिहासिक स्थिति के कारण संघ में विलय का इच्छुक नहीं था। महाराणा ने सुझाव दिया कि राजस्थान के शेष राज्य चाहें तो मेवाड़ में मिल सकते हैं। मेवाड़ महाराणा ने 25 जून, 1946 को उदयपुर में राजस्थानी राजाओं का सम्मेलन आयोजित किया जिसका मुख्य उद्देश्य एक संच बनाना था परन्तु सभी शासकों के एकमत न होने से यह योजना विफल हो गयी। डूंगरपुर के शासक ने भी वागड़ (डूंगरपुर, बाँसवाड़ा व प्रतापगढ़) राज्य बनाने का भी असफल प्रयास किया। इसी प्रकार प्रयास जयपुर व कोटा के शासकों ने भी किये किन्तु आपसी अविश्वास व पूर्वाग्रहों के कारण ये योजनाएँ सफल नहीं हो सकी।
3 सामन्त वर्ग का विरोध: स्वतंत्रता के बाद बदली हुई राजनीतिकराजस्थान का इतिहासव्यवस्था का ज्ञान होने पर राजस्थान का सामन्त वर्ग अपने विशेषाधिकारी और आने वाली स्थिति के प्रति सचेत हो गया। मतों के विभिन्न समूहों व संगठनों ने एकीकरण का विरोध किया। क्षत्रिय परिषद् ने अपने जोधपुर अधिवेशन में जोधपुर के विलय के • विरूद्ध जनमत तैयार किया। धौलपुर के राजा के साथ कई जागीरदारों ने कांग्रेस के विरुद्ध मोर्चा स्थापित करने का प्रयास किया।
4. अन्य प्रतिक्रियाएँ: किसान सभा व मेवाड़ के भीलों के संमुत तत्वाधान में उदयपुर के गुलाब बाग में एक सभा आयोजित की गई जिसमें उदयपुर के विलय के प्रश्न का विरोध हुआ। भरतपुर में जाटों ने किसान सभा के नेतृत्व में भरतपुर की वस्तुस्थिति बनाये रखने की मांग रखी और उसका किसी अन्य रियासत में विलय का विरोध किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय राजस्थान 19 रियासतों 3 चीफशिप (ठिकाने) कुशलगढ़, लावा व नीमराण तथा अजमेर-मेरवाड़ा चीफ कमिश्नरी में विभक्त था। सरदार वल्लभ भाई पटेल के आग्रह व दबाव के फलस्वरूप यहाँ के शासकों ने रियासतों के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त किया।
राजस्थान का एकीकरण ट्रिक
चरण प्रथम
- इसमें निन्न रियासते थी जो जिसको हम सरल ट्रिक से याद करे सकते है जो इस प्रकार है – A B C D नीम के निचे
- A का अलवर B का भरतपुर C करोली और D का धौलपुर + इसमें (नीम) नीमराना ठिकाना शामिल था
चरण द्वितीय
- इसमें 9 रियासते 1 ठिकाने थी जो जिसको हम सरल ट्रिक से याद करे सकते है जो इस प्रकार है – कोझा बाबू डुबे पर शाह किशन ने टोक
- कोटा , झालावाड़ , बांसवाड़ा , बूंदी , डूगरगढ़, प्रतापगढ़, शाहपुर ,किशनगढ़ ,टोंक , कुशलगढ़
- राजधानी का सरल ट्रिक से याद करे सकते है जो इस प्रकार है -(AKOJ) (अकुल) अलवर, कोटा, उदयपुर, जयपुर
- एकीकरण के समय बने राजप्रमुख सरल ट्रिक से याद करे सकते है जो इस प्रकार है- भाभी भूत ने मारे – उदयभानसिंह, भीमसिंह, भूपालसिंह मानसिंह (जयपुर) एकीकरण के दौरान बने प्रधानमंत्री
- एकीकरण के समय बने राजप्रमुख सरल ट्रिक से याद करे सकते है जो इस प्रकार है-PM को शोभा गोकुल की मणियों हार है – शोभाराम कुमावत, गोकुललाल असावा, माणिक्यलाल वर्मा, हरिलाल शास्त्री जी प्रधानमंत्री बने ।
- • N.V गोडगिल नरहरि विष्णु गोडगिल यह उस समय में केन्द्रिय खनीज एवंम विधुत मंत्री थे।
प्रमुख रियासतों के शायक
- जयपुर – मानसिंह
- बीकानेर – सार्दुल सिंह
- जोधपुर हनुमन्त सिंह
- उदयपुर = – भुपाल सिंह
- अलवर = तेजसिंह
- भरतपुर- बृजेन्द्र सिंह
- टोंक – हाफिज मोहम्मद सदाक अलियॉ
- बूंदी – ईश्वरी सिंह
- डुगरपुर =लक्ष्मण सिंह
- धौलपुर – उदयभान सिंह
- प्रतापगढ़ =रामसिंह
- – सिरोही =अभय सिंह
- जैसलमेर = रघुनाथ सिंह
- बांसवाड़ा =चन्द्रवीर सिंह
- कोटा = भीमसिंह
GK Questions in hindi
FAQ राजस्थान का एकीकरण के प्रश्न उत्तर
Q 1 राजस्थान का एकीकरण 7 चरण कौन कौन से हैं?
- प्रथम चरण – मतस्य संघ 18 मार्च, 1948
- दुसरा चरण– पूर्व राजस्थान 25 मार्च 1948
- तीसरा चरण– संयुक्त राजस्थान 18 अप्रैल, 1948
- चैथा चरण– वृहद राजस्थान 30 मार्च, 1949
- पांचवा चरण– संयुक्त वृहद् राजस्थान 15 मई, 1949
- छठा चरण– राजस्थान संघ 26 जनवरी, 1950
- सतंवा चरण– वर्तमान राजस्थान 1 नवम्बर, 1956
Q 2 राजस्थान एकीकरण की शुरुआत कब हुई?
उत्तर : 18 मार्च, 1948
Q 3 राजस्थान एकीकरण के समय कितने जिले थे?
उत्तर : राजस्थान का एकीकरण सात चरणों में पूरा हुआ । यह प्रक्रिया 18 मार्च, 1948 से शुरू हुई जो 1 नवम्बर, 1956 में पूरी हुई । उस समय राजस्थान में कुल 26 जिले थे । राजस्थान के एकीकरण में कुल 8 वर्ष 7 माह 14 दिन का समय लगा ।
Q 4 राजस्थान की सबसे बड़ी रियासत कौन सी है?
उत्तर : क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ी रियासत जोधपुर थी
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