May 7, 2024

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वर्ण की परिभाषा

वर्ण की परिभाषा

वर्ण की परिभाषा

वर्ण की परिभाषा  :- आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से हिन्दी व्याकरण के वर्ण के बार में विस्तार पूरक समझाने  की पूरी कोशिशे करेंगे की आपको हमारी पोस्ट में वर्ण की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण के बार में और जैसे की वर्ण किसे कहते हैंवर्ण की परिभाषावर्ण के प्रकार , varn kise kahate hain इन सभी के बार में आज हम सब मिलकर इस पोस्ट को विस्तार से समझने का पूरा प्रयास करेंगे । और वर्ण के बार में विस्तार से जानना चाहते हो तो इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़े ।

वर्ण की परिभाषा और उदाहरण व भेद।

वर्ण की परिभाषा

हिंदी भाषा की वह छोटी से छोटी ध्वनि जिसके और अधिक टुकड़े या खंड नहीं किया जा सकते है ,” वह वर्ण कहलाते है ।

भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि है , इस ध्वनि को भी वर्ण कहते है

लिखित चिन्ह ही वर्ण कहा जाता है

हिंदी भाषा में वर्ण का बहुत ही महत्वपूर्ण हिंसा है इस में वर्ण के ध्वनि का ज्यादा भाग नहीं किया जा  सकते  है ।  

भाषा की सबेस छोटी इकाई वर्ण होती है ।

वर्ण की परिभाषा
वर्ण की परिभाषा

वर्ण किसे कहते है

हिंदी भाषा में ध्वनियों का  मौलिक और सूक्ष्मतम (छोटे)  रूप जिन्हें और विभाजित  या टुकड़े न किए  जा सके , उसे  वर्ण कहते  है। वर्ण को  मौखिक रूप से  ध्वनि एवं लिखित रूप को अक्षर भी कहा जाता है ।

ध्वनि का लिखित रूप अक्षर या वर्ण कहा जाता है ।

अक्षर :  जिसका खंडन नहीं किया जा सकता है

वर्ण : वर्ण अनेकार्थी शब्द है जिसका अर्थ है – अक्षर , रंग , भेद , जाती , शब्द , सोना , रूप  इत्यादि।

वर्ण भाषा की मूल इकाई है। प्रत्येक शब्द वर्णों के योग से ही बनता है।

वर्ण के उदाहरण। varn ki paribhasha

अ , इ , क , ख , च  आदि ।

वर्ण के उदाहरण के बार में  जैसे की   “सभा” शब्द चार  मूल ध्वनियों से बना है, स् + अ + भ् + आ = सभा। इन सभी मूल ध्वनियों का खंड न  किया जा सकता ।

यदि हम किसी भी शब्द को अगर हम विभाजित करें तो हमें इसमें छिपे हुए वर्णों का पता चल जाएगा। जैसे की

आम  आ+ म+अ= आम

जैसे की हम एक शब्द है  = “पीला” । यदि पीला शब्द के टुकड़े किया जाये तो व इस प्रकार होगा ।

पी + ला । अब यदि पी और ला के टुकड़े किया जाएं तो होंगे  – प् + ई तथा  ल + आ । अब यदि हम प्  ई , ल आ  के टुकड़े करने चाहते है तो यह संभव ही नहीं है इस प्रकार की ध्वनि को वर्ण कहते है ।

वर्णमाला  किसे कहते है

वर्णो के क्रमबध्द समूह को ही वर्णमाला कहते है ।

वर्णमाला “देवनागरी लिपि”में लिखी गई है। देवनागरी लिपि में संस्कृत , मराठी , कोंकणी , नेपाली , मैथिलि भाषाएँ लिखी जाती हैं। हिन्दी वर्णमाला में ॠ , ऌ , ॡ , ळ का प्रयोग नहीं किया जाता है।

varnamala kise kahate hain

किसी एक भाषा या अनेक भाषाओं को बोलने या लिखने हेतु उपयोग में लिए जाने प्रयुक्त मानक प्रतीकों के  व्यवस्थित  समूह को वर्णमाला  कहते हैं।

उदाहरण के लिए देवनागरी की वर्णमाला में अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ अं अः  क  ख  ग  घ  ङ। च  छ  ज  झ  ञ। ट  ठ  ड  ढ  ण। त  थ  द  ध  न। प  फ  ब  भ  म। य  र  ल  व। श  ष  स  ह को ‘देवनागरी वर्णमाला’ कहते हैं और a b c d … z को रोमन वर्णमाला (रोमन ऐल्फ़बेट) कहते हैं।

हिंदी में  उच्चारण के आधार पर 45 वर्ण  एवं लेखन के आधार पर 52 वर्ण है ।

वर्ण के भेद 

वर्णो के मेल से शब्द बनता है , शब्द के मेल से वाक्य और वाक्यों के मेल से भाषा बनती है । इस प्रकार  वर्ण ही भाषा का मूल आधार है । हिंदी में वर्णो की संख्या 44 है । मुँह से उच्चारित होने वाली ध्वनि और लिखे जाने वाले लिपि चिह्न के आधार पर वर्ण को दो भागो में विभाजन किया गया है ।

हिंदी भाषा में वर्ण के दो भेद है ।

1. स्वर

2. व्यंजन

 स्वर 

स्वर की परिभाषा

हिंदी भाषा में कुछ ऐसे वर्ण जिनको  स्वंतत्र रूप से  बोली जाने वाली “ध्वनि चिह्न ”  जिनका  उच्चारण स्वंतत्र होता है उसे स्वर कहते है । 

जो वर्ण बिना किसी दूसरे वर्ण ( स्वर)  की सहायता के बोले जा सकते है उसे स्वर  कहा  जाता है ।

स्वर वर्ण किसे कहते हैं

हिंदी भाषा में वर्ण जिनके उच्चारण में कोई सहायता नहीं जाती है ऐसे ध्वनिया स्वर कहलाती है । 

जिन ध्वनियों या वर्णो के उच्चारण में अन्य वर्णो की सहायता नहीं लेनी पड़े , उन्हें स्वर कहते है । 

हिंदी वर्णमाला में स्वरों की संख्या 11 हैं

ये संख्या में 11 होते है जबकि मात्राओ की संख्या 10 होती है

जैसे :-

अ , आ , इ , ई , उ , ऊ , ऋ , ए , ऐ , ओ , औ  – 11

–     ा     ि     ी  ु  ू    ृ    े    ै  ो  ौ  इस प्रकार मात्रा की सख्या 10 है

नोट :- ‘अ’ एक ऐसा स्वर है जिसकी कोई मात्रा नहीं होती है ।

स्वर वर्ण के कितने भेद होते हैं

स्वर दो  भेद होते  है-

(i) मूल स्वर:– अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ओ

(ii) संयुक्त स्वर:- ऐ (अ +ए) और औ (अ +ओ)

स्वर वर्णों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए

सभी प्रकार की ध्वनियाँ ऐसी है जिनका उच्चारण बिना दूसरी ध्वनि के ही किया जाना है । अ, इ, उ , मूल स्वर है । ये  भी ह्रस्व स्वर है  क्योकि इनके उच्चारण में दीर्घ स्वरों से कम समय लगता है । ऋ का हिंदी में शुद्ध  प्रयोग न होने के कारण रि ( ऱ + इ ) के उच्चारण के रूप में प्रयोग होता है केवल ऋतू , ऋषि , ऋण आदि कुछ शब्दों के लिखने में ही इसका उपयोग मिलता है। 

मूल स्वर के प्रकार 

मूल स्वर के तीन प्रकार होते है 

(i) ह्स्व स्वर

(ii) दीर्घ स्वर

(iii) प्लुत स्वर

 

वर्ण की परिभाषा उदाहरण

.wikipedia.org

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