राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल होने के लाभ :-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत देश का एक हिन्दू राष्ट्रवादी संघठन है जिसे आरएसएस के नाम से भी जाना जाता है, आरएसएस का फुल फॉर्म ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है। प्रारंभिक प्रोत्साहन हिंदू अनुशासन के माध्यम से चरित्र प्रशिक्षण प्रदान करना था और हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए हिंदू समुदाय को एकजुट करना था। संगठन भारतीय संस्कृति और नागरिक समाज के मूल्यों को बनाए रखने के आदर्शों को बढ़ावा देता है और बहुसंख्यक हिंदू समुदाय को “मजबूत” करने के लिए हिंदुत्व की विचारधारा का प्रचार करता है
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
यह एक स्वयंसेवी संस्थान है जो देश के जनता की सेवा करना, आपदा में मदद करना तथा सनातन संस्कृति के मूल्यों को बनाए रखने जैसे कार्य करता हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्य उद्देश्य हिन्दुओ को एक करना तथा देश के विकास को आगे बढ़ाना है। हमेशा से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश को आर्थिक तथा शारीरिक सहयोग देता आ रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल होने के लाभ भी है जिनके बारें में आगे इस लेख में बताया गया है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल होने के लाभ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर सन् 1925 में विजयादशमी के दिन डॉ॰ केशव हेडगेवार द्वारा की गयी थी। हेडगेवार जी नें नागपुर में 27 सितम्बर 1925 को विजयादशमी के दिन आरएसएस की स्थापना की थी, इस समय इनके साथ केवल कुछ ही युवा थे। इसके बाद इन्होने प्रतिदिन शाखा लगाना प्रारम्भ किया, शाखा में प्रार्थना, खेल जैसी गतिविधियाँ होती थी जो आज भी होती है। समय के साथ यह संघठन पुरे विश्व में फैलने लगा और आज हर शहर में इस संघठन के कार्यकर्ता उपस्थित है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल होना
शाखा किसी मैदान या खुली जगह पर एक घंटे की लगती है। शाखा में व्यायाम, खेल, सूर्य नमस्कार, समता (परेड), गीत और प्रार्थना होती है। सामान्यतः शाखा प्रतिदिन एक घंटे की ही लगती है। शाखाएँ निम्न प्रकार की होती हैं:
- प्रभात शाखा: सुबह लगने वाली शाखा को “प्रभात शाखा” कहते है।
- सायं शाखा: शाम को लगने वाली शाखा को “सायं शाखा” कहते है।
- रात्रि शाखा: रात्रि को लगने वाली शाखा को “रात्रि शाखा” कहते है।
- मिलन: सप्ताह में एक या दो बार लगने वाली शाखा को “मिलन” कहते है।
- संघ-मण्डली: महीने में एक या दो बार लगने वाली शाखा को “संघ-मण्डली” कहते है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओ को स्वयंसेवक कहा जाता है, तथा यह हर समय देश और देश के नागरिको की सहायता के लिए उपस्थित रहते हैं। हिन्दू धर्म से जुड़ी कई जानकरिया भी संघ के कार्यकर्ताओ के पास होती है जिसे भी सुनने और प्रचार करने का मौका मिलता है। नए मित्र बनाने में आसानी होती है और बातचीत से आत्मविश्वास में बढोत्तरी होती हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ फोटो
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संरचना
संघ में संगठनात्मक रूप से सबसे ऊपर सरसंघचालक का स्थान होता है जो पूरे संघ का दिशा-निर्देशन करते हैं। सरसंघचालक की नियुक्ति मनोनयन द्वारा होती है। प्रत्येक सरसंघचालक अपने उत्तराधिकारी की घोषणा करता है। वर्तमान में संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत हैं। संघ के ज्यादातर कार्यों का निष्पादन शाखा के माध्यम से ही होता है,
जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर सुबह या शाम के समय एक घंटे के लिये स्वयंसेवकों का परस्पर मिलन होता है। वर्तमान में पूरे भारत में संघ की लगभग पचपन हजार से ज्यादा शाखा लगती हैं। वस्तुत: शाखा ही तो संघ की बुनियाद है जिसके ऊपर आज यह इतना विशाल संगठन खड़ा हुआ है। शाखा की सामान्य गतिविधियों में खेल, योग, वंदना और भारत एवं विश्व के सांस्कृतिक पहलुओं पर बौद्धिक चर्चा-परिचर्चा शामिल है।
संदर्भ :- wikipedia
FAQ
Q1# राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वर्तमान सरसंघचालक कोने है?
Ans:-वर्तमान में संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत हैं।
Q2# आरएसएस RSS की स्थापना कब की गई ?
Ans:- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर सन् 1925 में विजयादशमी के दिन डॉ॰ केशव हेडगेवार द्वारा की गयी थी
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